खुमानी का बोट
इक्कआ दुक्का खुमानी के पेड़
दो चार अखरोट के दरख़्त
कुछ मवेशी-
गई, भैंस, बछिया, थोरी
कुछ बिल्लियाँ
भकार के किनारे घूमतीं
कुछ डूम
कुछ बामन
कुछ खशी
छूट गए हैं तुमसे
ऐपण से लिपि
देयी कच्ची मिटटी की नम है
लकड़ी के दरवाज़ों पर गुदे हैं
तुम्हारे बचपन
तुम्हारी जवानियाँ
पन्यारा कल कलाता है
गाता है शकुन आखर
तुम्हारे आगमन के
हरथान पर दिए टिमटिमाते हैं
तुम्हारी आस में
और चिपचिपी घंटियाँ
चीड़ के पेड़ों के साथ गुनगुनाती हैं
खुमानी का बोट
शिशुन का पौंधा
शिमगाड के पुराने
पत्थर
याद करते हैं तुम्हें।
-विजया
भकार- अनाज रखने की लकड़ी की बड़ी अलमारियां
थोड़ी- भैंस का बच्चा
खशी - ' ठाकुरों' के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला लव्ज
डूम - हरिजन
ऐपण- कुमाऊं में बनायीं जाने वाली रंगोली
शकुन आखर - शुभ अवसरों पर गए जाने वाली गीत
पन्यारा- झरना
शिशुन - एक तरह का कांटेदार पौंधा
शिमगाड- एक पथरीली जगह का नाम
हरथान -मंदिर